Aashcharyalok Me Elis by लुई कैरोल
आश्चर्यलोक में एलिस ...आश्चर्यलोक में एलिससंसार की प्रायः सभी भाषाओं में अनूदित ‘एलिस इन वंडरलैंड’ का बाल-साहित्य में एक विशिष्ट स्थान है। लुई कैरोल की यह बहुचर्चित कथाकृति बच्चों और किशोरों के मनोविज्ञान तथा उनकी जिज्ञासु कल्पनाशीलता को जिस तरह उजागर करती है, वह बेहद दिलचस्प और अर्थपूर्ण है।एलिस एक छोटी-सी बच्ची है। खेल-खेल में एक खरगोश का पीछा करते हुए वह एक ऐसे आश्चर्यलोक में जा पहुँचती है, जहाँ कुछ भी असम्भव नहीं। वहाँ कौतुक और अपनी आवश्यकता के कारण वह न सिर्फ अपना कद घटा-बढ़ा सकती है, बल्कि अनेकानेक पशु-पक्षियों को बुद्धू या कहें कि ‘उल्लू’ भी बनाती रहती है। दूसरे शब्दों में, एलिस स्वयं पशु-पक्षियों के दुख-सुख और उनकी तरह की शैतानियों में शामिल हो जाती है। यही नहीं, ताश के पत्तों - बादशाह-बेगम-गुलाम और दुग्गी-तिग्गी-सत्ते आदि के माध्यम से वह उस न्याय- व्यवस्था की मूर्खताओं पर भी हैरान होती है, जिसमें ‘पहले सजा और पीछे फैसला’ सुनाया जाता है।कहने की आवश्यकता नहीं कि बाल-मनोविज्ञान के विभिन्न स्तरों का उद्घाटन करते हुए लेखक वर्तमान देश-काल पर भी टिप्पणी करता है। वस्तुतः इस उपन्यास की इन्हीं विशेषताओं के कारण इसके प्रायः सभी अनुवाद महत्त्वपूर्ण रचनाकारों द्वारा हुए हैं। इस दृष्टि से हिन्दी के लब्धप्रतिष्ठ कवि शमशेर बहादुर सिंह द्वारा किया गया यह अनुवाद भी अपनी रचनात्मक ताजगी से इस कृति को और अधिक महत्त्वपूर्ण बनाता है।
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